Tuesday, August 6, 2013

Teri Dosti...

तेरी दोस्ती 
 
मित्रता दिवस पर याद आया वो तेरा 
साथ में बेमतलब का खिलखिलाना 
कभी रूठना, मेरी नादानियों पर 
और फिर गुस्साते हुए मुझको मनाना. 
अपनी ग़लती पर मुँह झुका के 
शुद्ध बेशर्मी से हंस देना तेरा 
फिर अपनी चिल्लाहट से, कुचल देना 
वो समझाईश का हर इक शब्द मेरा. 
वो घंटों बैठे रहना, बस यूँ ही 
कुछ भी ना हो कहने को, जब पास  
सिर्फ़ इशारों में ही समझ लेना 
एक-दूसरे का हर अनबोला एहसास. 
जो सॉरी बोलूं, तो भारी आवाज़ से 
झूठी नाराज़गी का दर्शाना 
और थॅंक्स सुनते ही, बारिश सा 
मुझ पर बेतहाशा बरस जाना. 
सुनना, बड़े ही स्नेह से 
मेरी हर उल्टी-सीधी परेशानी 
कभी दिखाई, मेरी फ़िज़ूल के क़िस्सों पे 
तुमने अपनी हैरानी. 
झलकती है, हर पल फ़िक्र मेरी 
तेरी शांत, सुरीली बातों में 
बस गई हूँ, मैं भी बिन पूछे 
तेरी इन प्यारी आँखों में. 
पर ना सोचना कभी भी, कि 
ये रिश्ता, मजबूरी है 
जीने के लिए, - दोस्त 
तेरी दोस्ती बेहद ज़रूरी है. 
 
प्रीति 'अज्ञात' 
 

 

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