Wednesday, April 4, 2018

बाबाजी का ठुल्लू

ताजा काव्य 

छोड़-छाड़ के मोह सग दुनिया दई थी त्याग 
पर का करिहें देस में मच गई इत्ती आग 
मच गई इत्ती आग के न रओ, काऊ को कछु मोल 
आये मंत्री भांजके, बाबा दुनिया है गई ढोल

हाय! दुनिया है गई ढोल तो फित्तो, आओ हमऊ बजाएँगे
मारा गला में डार के, चर्चा-चिंता करवे आयेंगे
तुम मुरख बस लड़त फिरो और करो नौकरिया खोज 
राजाजी के राज में हमरी तो है गई मौज

मिल गयो डीज़ल, नौकर चाकर, घूमन काजे भत्ता 
तुम टुकुर-टुकुर कत्ते रहियो हमको तो मिल गई सत्ता 
पढ़ लिखके कछु न होएगो, बस बनते रईयो उल्लू 
भौत चिरात थे पैले हमको, अब तुम ल्यो बाबाजी को ठुल्लू 
- कॉपीराइट © प्रीति 'अज्ञात'
Pic Credit: Google

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